सिखा दी बेवफ़ाई करना ज़ालिम ज़माने ने तुम्हे, तुम जो भी सीख जाते हो हम पर ही आजमाते हो।
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे, लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।
तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है, मैं नहीं रोती लोग मुझे देख कर रोते हैं।
तेरी यादें हर रोज आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफाई नहीं सिखाई इनको।
जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।
खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफा को, दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।
ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये, बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था, वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था, सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को, पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था।
फूलों के साथ काँटे नसीब होते हैं, ख़ुशी के साथ ग़म भी नसीब होता है, यूँ तो मजबूरी ले डूबती हर आशिक को, वरना खुशी से बेवफ़ा कौन होता है!
टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी, मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी, न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से, के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।
गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह, आँखों में जागता है कोई रात की तरह, उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो, वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से, बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से, ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उसने दवा के नाम से, आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम देखकर ....
काश कि हम उनके दिल पे राज़ करते, जो कल था वही प्यार आज करते, हमें ग़म नहीं उनकी बेवफाई का, बस अरमां था कि, हम भी अपने प्यार पर नाज़ करते।
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए।
वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है, चला गया छोड़ कर इसलिए दिल उदास है, बेवफा नही कहूंगा मैं उसको,
क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है।
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।
हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया, औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया, पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को, औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह वाह किया।
मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।
वफ़ा के नाम से वो अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।
ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने, जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर, वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।
प्यार किसी को करोगे रुस्वाई ही मिलेगी, वफ़ा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी, जितना मर्जी किसी को अपना बना लो, जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी।
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना, तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना, मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना, मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे, तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे, किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा, हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।
तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए।
वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनाते रहे, हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे, और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि, हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया।
आंसुओ तले मेरे सारे अरमान बह गये, जिनसे उम्मीद लगाए थे वही बेवफा हो गये, थी हमे जिन चिरागो से उजाले की चाह, वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये।
जा तुझ को तेरे हाल पे छोड़ा, इस से बेहतर तेरी सजा भी क्या है।
तू बेवफा है तेरी बेवफ़ाई में दिल बेकरार ही ना करूँ, तू हुक्म दे तो तेरा इंतेज़ार ही ना करूँ, बेवफा है तो कुछ इस कदर बेवफ़ाई कर, कि तेरे बाद मैं किसी और से प्यार ही ना करूँ।
मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ, पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है, हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं।
आज हम उनको बेवफा बताकर आए हैं, उनके खतो को पानी में बहाकर आए हैं, कोई निकाल न ले उन्हें पानी से, इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए हैं।
किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना, मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।
गहराई प्यार में हो तो बेवफाई नहीं होती, सच्चे प्यार में कहीं तन्हाई नहीं होती, मगर प्यार ज़रा संभल कर करना मेरे दोस्त, प्यार के ज़ख्म की कोई दवा नहीं होती।
जाम पीकर भी ना खोते थे होश कभी, आज बिन पिए भी हम लड़खड़ाने लगे हैं, पहले कहती थी ये दुनिया हमको बेवफा, आज वो भी इल्जाम बेवफाई का लगाने लगे हैं…
उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।