Anand Kumar Biography in Hindi
आनंद कुमार की जीवनी (Anand Kumar Biography (Jivani) In Hindi) : IIT जैसे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का सपना कई छात्र-छात्राओं का होता है, लेकिन कोचिंग संस्थाओं की भारी-भरकम फीस का बोझ उठा पाना हर माता-पिता के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसे में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्र का ये सपना सिर्फ सपना बनकर रह जाता है। लेकिन अब गरीब बच्चों का सपना पूरा करते है आनंद कुमार और उनकी सुपर 30 ।
आनंद कुमार की जीवनी हिंदी में (Anand Kumar Biography in Hindi)
नाम | आनंद कुमार |
जन्म | 1 जनवरी 1983 |
जन्म स्थान | पटना. बिहार |
माता | जयंती देवी |
भाई | प्रणव कुमार |
पत्नि | ऋतु रश्मि |
कार्य | शिक्षक, गणितज्ञ |
आनंद कुमार का बचपन (Anand Kumar’s childhood)

आनंद कुमार (Anand Kumar) का जन्म 1 जनवरी 1983 को पटना. बिहार में हुआ था। आनंद कुमार के पिता डाक विभाग में लिपिक के रूप में काम करते थे। आनंद कुमार के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जिसकी वजह से आनंद कुमार को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा पाना उनके पिता के लिए संभव नहीं था. जिसके चलते आनंद कुमार का दाखिला एक हिंदी माध्यम सरकारी स्कूल “पटना हाई स्कूल’ में करवा दिया।
आनंद कुमार पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। साथ ही उनकी रुचि गणित विषय में अधिक थी. जिसके कारण आनंद कुमार स्कूल के दिनों में ही गणित के सवालों को उन्होंने अपना दोस्त बना लिया था। आनंद कुमार गणित के कठिन से कठिन सवालों को भी झट से हल कर दिया करते थे।
समय के साथ आनंद कुमार की प्रतिभा निखरती गई और वो गणित विषय में निपुण होते गए। ग्रेजुएशन के समय आनंद कुमार Number Theory पर एक पेपर सबमिट किया था। जिसे मैथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मैथेमेटिकल गैजेट में पब्लिश किया गया था। आनंद कुमार के उस पेपर्स की चर्चा देश-विदेश में होने लगी और जिसकी वजह से आनंद कुमार को यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज में एडमिशन के लिए कॉल लेटर आया।
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इस लेटर की वजह से आनंद कुमार का परिवार खुशी से झूम उठा था लेकिन जैसे ही पता चला की कैम्ब्रिज जाने के लिए 6 लाख रूपये की आवश्यकता पड़ेगी। वैसे ही पुरे परिवार की ख़ुशी एक दम से खत्म हो गई। आनंद कुमार को यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज न भेज पाने की वजह से उनके पिता को गहरा सदमा लगा और उनकी मृत्यु हो गई।
आनंद कुमार का संघर्ष (The struggle of Anand Kumar)

पिता की मृत्यु की वजह से परिवार की आर्थिक स्थति और खराब हो गई। और पुरे परिवार की जिम्मेदारी आनंद कुमार के कंधों पर आ गई। पिता की नौकरी के दौरान मृत्यु होने की वजह से आनंद कुमार को सरकारी नौकरी का प्रस्ताव आया लेकिन आनंद कुमार सरकारी नौकरी नहीं करना चाहते थे. और उसके इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
आनंद कुमार (Anand Kumar) के इस फैसले का समर्थन उनकी माँ और भाई ने भी किया था। एक दिन पड़ोस में रहने वाली सिंधी महिला ने उड़द के पापड़ बनाने का सुझाव दिया, क्योकि उड़द के पापड़ सिंधी लोगों के खान-पान का अहम हिस्सा है। आनंद कुमार ने उनके इस सुझाव को मान लिया, जिसके बाद आनंद कुमार की माँ पापड़ बनाने का काम शुरू कर दिया।
आनंद कुमार और उसकी माँ हर सुबह पापड़ बनते और शाम को आनंद कुमार और उनके छोटे भाई प्रणव कुमार गली-गली घूमकर पापड़ बेचते और अपने घर का गुजारा और दोनों भाइयों की पढ़ाई का खर्च निकलते थे। लेकिन आनंद कुमार के जीवन में कई दिन ऐसे भी रहे है कि पापड़ ना बिकने कि वजह से उनको और उनके परिवार को भूखा भी सोना पड़ा था।
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आनंद कुमार एक बार उनकी गरीबी के बारे में प्रश्न पूछा गया था तो आनंद कुमार ने जवाब में ये बोलै था – गरीबी कोई बताने की चीज नहीं है ये महसूस करने की चीज है, अगर गरीबी को महसूस करना है तो एक-दो दिन भूखे रह कर देखो।
आनंद कुमार के दिल में कैम्ब्रिज न जाने का दुःख भी था। लेकिन एक दिन प्रणव कुमार ने आनंद कुमार को कहा कि क्या हुआ जो आप कैम्ब्रिज न जा सके. जहाँ हैं वहीं से कुछ करने का प्रयास कीजिये. हिम्मत और जूनून हो, तो जहाँ हैं वहीं से आसमान की ऊँचाइयाँ छुई जा सकती हैं भैया। प्रणव कुमार ये बात आनंद कुमार के दिमाग और दिल में घर कर गई। जिसके बाद आनंद कुमार गणित की ट्यूशन क्लासेस लेना शुरू कर दी।
शुरुआती दिनों में आनंद कुमार की क्लास में सिर्फ तीन हो बच्चे आये थे। लेकिन आनंद कुमार के पढ़ाने के तरीके की वजह से ये संख्या कुछ ही दिनों में तेजी बढ़ने लगी। और तीन साल के अंदर ही 3 से 500 हो गई। आनंद कुमार ने अपनी ट्यूशन क्लास का नाम रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स’ रखा था।
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उस समय आनंद कुमार की फीस 500 रूपये साल थी। इसके अंदर आनंद कुमार बच्चों को गणित, रसायन और भौतिकी पढ़ाते थे। साथ ही आनंद कुमार बच्चों को IIT और JEE जैसी टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश की परीक्षाओं के लिए तैयार भी करते है। ट्यूशन की वजह से आनंद कुमार के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगी।
सुपर 30 सक्सेस स्टोरी (Super 30 Success Story)

तो वही 2000 में एक गरीब बच्चा आनंद कुमार के पास आया और बोला सर में IIT की तैयारी करना चाहता था। लेकिन मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी जिसकी वजह से अपने आपकी ट्यूशन फीस देने में असमर्थ था। उसे देखकर आनंद कुमार को अपना बचपन नजर आने लगा। जिसके बाद आनंद कुमार ने उस छात्र को बिना पैसे लिए पढ़ाया. और उसका छात्र का चयन IIT में हो गया।
उस गरीब छात्र की सफ़लता देख आनंद कुमार ने ये तय किया की पैसे के अभाव में किसी होनहार छात्र का भविष्य बर्बाद नहीं होना चहिये। जिसके उन्होंने आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को मुफ़्त में IIT और JEE की तैयारी कराई जाये। इस बार भी प्रणव कुमार और माँ का साथ आनंद कुमार को मिला। जिसके बाद प्रणव कुमार और आनंद कुमार ने तय किया की हर बार परीक्षा लेकर 30 गरीब बच्चों को चुनेगे। और उनके पढ़ाने से लेकर रहने-खाने की सारी सुविधायें उनको देंगे। आनंद कुमार की माँ भी सामने आई और उन्होंने बच्चों के लिए खाना बनाने की ज़िम्मेदारी अपने हाथों में ले ली।
जिसके चलते 2002 से 30 गरीब बच्चों को आनंद कुमार ने चुना। और इसी के साथ सुपर 30 की शुरुआत भी होगी। जिसमे पहले ही साल 30 में से लगभग 26 छात्रों का चयन IIT में करवाने में आनंद कुमार कामयाब हो गए। तो वही साल 2002 से शुरू हुई सुपर 30 से आनंद कुमार ने अब तक 450 से अधिक छात्रों को IIT में भेजा है। तो वही आनंद कुमार के कई छात्र देश और विदेश में महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
साथ ही सुपर 30 की सफलता देखते हुई कई सरकारी और प्राइवेट संस्थायें ने उनको वित्तीय सहायता के लिए सामने आई। लेकिन आनंद कुमार ने सभी को साफ इंकार कर दिया। आनंद कुमार अपने दम पर ही इस संस्थान को चलाना चाहते हैं. सुपर 30 का संचालन आनंद कुमार रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स से मिली फीस से करते है। इस तरह सुपर 30 संस्थान निःस्वार्थ भाव से आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों का भविष्य सुधारने में लगे हुए है।
सुपर 30 से जुड़ी रोचक बाते (Interesting things related to Super 30) :-

- 2009 में डिस्कवरी चैनल सुपर 30 पर 3 घंटे का कार्यक्रम प्रसारित किया था। इस कार्यक्रम आनंद कुमार और सुपर 30 की कामयाबी के बारे में विस्तार से दिखाया गया।
- तो वही साल 2009 में ही अमेरिका के एक समाचार पत्र ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ ने आनंद कुमार के बारे में आधे पन्ने का लेख भी प्रकाशित किया था।
- आनंद कुमार की सुपर 30 का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज है.
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार राशिद हुसैन ने सुपर 30 को देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहा था।
- 2010 में Time Magazine ने आनंद कुमार के गरीब छात्रों की उपलब्धि को देखे हुए सुपर 30 को ‘बेस्ट ऑफ़ एशिया की सूची में सूचीबद्ध किया था।
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आनंद कुमार के विचार (Thoughts of Anand Kumar) :-
- चलते रहों उस समय तक चलते रहों जब तक की मंजिल न मिल जायें ।
- मेहनत करते रहों चाहें परिस्थिति जैसी भी हो, मेहनत से मत भागों ।
- हमारे जीवन में सबसे बड़ी परीक्षा धैर्य की होती हैं ।
- जितनी रात गहरी हो रहीं हैं उतना ही वह सवेरे के नजदीक पहुँच रहीं हैं । अर्थात परेशानियाँ जितनी गम्भीर होती हैं उतना ही सफलता के करीब लें जाती हैं ।
- सोचने वालों का जमाना है पैसों से पढ़ाई नहीं होती है, जुनून से पढ़ाई होती है, लगन से पढ़ाई होते हैं।
- आपको एक गोल पाने के लिए आपके अंदर goal के प्रति एकदम प्रबल thrist होना चाहिए, extreme level का।
- बुझी हुई शमा फिर से जल सकती है भयंकर तूफ़ान से भी कश्ती निकल सकती है निराश न हो दोस्तों एक दिन अपनी भी किस्मत बदल सकती है।