Mangal Pandey Biography in Hindi
मंगल पांडे की जीवनी (Mangal Pandey Biography (Jivani) In Hindi) : भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अग्रदूत मंगल पांडे थे। मंगल पांडे के द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला की वजह से अंग्रेज़ शासन पूरी तरह से हिल गया था। साथ ही मंगल पांडे ने देश में जो क्रांति के बीज बोए थे उसकी बदौलत अंग्रेज़ हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका था। सही मायने में भारत की आजादी का बिगुल मंगल पांडे ने ही फूंका था, उनके बलिदान को ये देश कभी नहीं भूला सकता है।साथ ही मंगल पांडे प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं।
मंगल पांडे की जीवनी (Mangal Pandey Biography in Hindi)

पूरा नाम | मंगल पाण्डेय |
जन्म | 19 जुलाई 1827 |
जन्म स्थान | नगवा, बल्लिया जिला, उत्तर प्रदेश भारत |
म्रत्यु | 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए गए |
जाने जाते है | प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी |
वीर योद्धा मंगल पांडे का जन्म सामान्य ब्राम्हण परिवार में 30 जनवरी 1827 को उत्तर प्रदेश के नगवा, बलिया जिले में हुआ था जो अब उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पास है। मंगल पांडे के पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। ब्राम्हण परिवार में जन्म होने की वजह से मंगल पांडे हिंदुत्व को बहुत मानते थे। साथ ही मंगल पांडे के अनुसार हिन्दू धर्म सबसे अच्छा होता था।
सामान्य परिवार में जन्म होने की वजह से मंगल पांडे को युवावस्था में रोजी-रोटी की मजबूरी ने अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया था। मंगल पांडे सिर्फ 22 साल की उम्र में साल 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गये थे।
मंगल पांडे बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे। कहा जाता है सेना के एक ब्रिगेड के कहने पर उन्हें इसमें शामिल किया गया था, क्योकि वे मार्च बहुत तेज किया करते थे. मंगल पांडे बहुत अच्छे सिपाही थे, मगंल पांडे महत्वकांक्षी थे, साथ ही मगंल पांडे काम को पूरी निष्ठा से करते थे।
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ईस्ट इंडिया कंपनी की रियासत व राज हड़प के बाद ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तर की नीति ने लोगों के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी। तो वही ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो मामला और बिगड़ता चला गया।

सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि नई कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इन कारतूसों की मदद से अंग्रेज हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करना चाहते है। तो है ये बात हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए नापाक थी।
अंग्रेजों की फौज में भारतीय सैनिकों के साथ होने वाले भेदभाव से पहले से ही भारतीय सैनिकों में संतोष जनक स्थिति बनी हुई थी। वही नई कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग की सम्बंधित अफवाह ने आग में घी का काम कर दिया था।
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साथ ही 9 फरवरी 1857 में नया कारतूस मंगल पांडे की देशी पैदल सेना मे बाटे गए तो मंगल पांडे ने उसे लेने से साफ इनकार कर दिया। जिसकी वजह से मंगल पांडे के हथियार छीन लिये जाने व वर्दी उतार लेने का हुक्म हुआ। लेकिन मंगल पांडे ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया।
और 29 मार्च 1857 को जब उनकी राइफल छीनने के लिये आगे बढे तो अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर मंगल पांडे ने आक्रमण कर दिया। मंगल पांडे के बाद पूरी देशी सेना ने नई कारतूसों का पुरजोर विरोध किया। और कारतूस का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के लिए घातक सिद्ध हुआ।
मंगल पांडे ने मेजर ह्यूसन पर आक्रमण करने से पहले अपने सभी साथियों से समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन डर की वजह से मंगल पांडे का साथ किसी ने नहीं दिया। तब भी मंगल पांडे ने अपनी ही रायफल से मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया था।
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इसके बाद मंगल पांडे ने एक और अंग्रेज़ अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को मौत के घात उतार दिया था। फिर मंगल पांडे ने अपने उपर भी गोली चलानी चाहिए, लेकिन ब्रिटिश अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उनके पैर में गोली लग गई। इस घटना से अंग्रेज सरकार पूरी तरह से हिल गई थी।

मंगल पांडे को हिरासत में रखा गया, जहाँ मंगल पांडे 1 हफ्ते में ठीक हो गए। इस दौरान मंगल पांडे को लेकर अफवाह उड़ाई गई कि मंगल पांडे को कोई दवाई दी गई थी, जिस वजह से उन्होंने ये कारनामा किया। लेकिन इन सभी बात का खंडन मंगल पांडे ने खुद किया और बताया कि उन्होंने किसी ने कोई दवाई नहीं दी, न ही किसी के कहने पर दबाब में आकर उन्होंने ये काम किया है।
मंगल पांडे के द्वारा मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेन्ट बॉब की हत्या की वजह से अंग्रेजी हुकूमत ने 6 अप्रेल 1857 को फ़ैसला सुनाते हुए कहा की मंगल पांडे को 18 अप्रेल को फ़ांसी चढा दिया जाये. लेकिन बाद में फ़ांसी की तारीख 8 अप्रेल कर दी गई ताकि विद्रोह की आग अन्य रेजिमेन्टों में भी न फ़ैल जाये। मंगल पांडे के प्रति भारतीय सैनिकों के साथ अंग्रेजी सैनिकों के अंदर भी सम्मान पैदा हो गया था।
जिसकी वजह से बैरकपुर का कोई जल्लाद फ़ांसी देने को तैयार नहीं हुआ. जिसके बाद नजीतन कल्कत्ता से चार और जल्लाद बुलाकर मंगल पाण्डे को 8 अप्रेल, 1857 के दिन फ़ांसी दी गई। मंगल पाण्डे को फ़ांसी देकर अंग्रेजी हुकूमत जिस चिंगारी को खत्म करना चाहती थी।
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वो चिंगारी तेजी से फैली और पुरे देश में एक आक्रोश की आग लग गई। और मंगल पाण्डे की मोत के 91 साल के अंदर ही अंग्रेजी हुकूमत को भारत छोड़ कर जाना ही पड़ा।
कहा जाता है की मंगल पाण्डे मौत के बाद भी अंग्रेज अफसर में मंगल पाण्डे का खौफ था, जिसकी वजह से मंगल पाण्डे की लाश के पास जाने से भी अंग्रेज अफसर कतरा रहे थे।
मंगल पांडे की कविता (Mangal Pandey poem in hindi)

जिसने धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई की,
अपनी जान की ना उसने परवाह की,
अंग्रेजों के आगे सिर न झुकाया,
देश के लिए जान कुर्बान की।
खुद ही अकेले विरोध छेड़ दिया,
सभी साथियों को इकट्ठा करके युद्ध किया।
मंगल पांडे ने अंग्रेजों का विरोध किया,
देश के लिए उन्होंने संघर्ष किया।
गाय सूअर की चर्बी का इस्तेमाल ना करो,
हमारा धर्म तुम नष्ट ना करो।
खुद ही अकेले विरोध छेड़ दिया,
सभी साथियों को इकट्ठा करके युद्ध किया।
जिसने धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई की
अपनी जान की ना उसने परवाह की
अंग्रेजों के आगे सिर न झुकाया
देश के लिए जान कुर्बान की।
मंगल पांडे के विचार (Mangal Pandey Quotes In Hindi)

- यह आज़ादी की लड़ाई है ग़ुज़रे हुए कल से आज़ादी आने वाले कल के लिए।
- बन्दूक बड़ी बेवफा माशूका होती है, कब किधर मुँह मोड़ ले, कोई भरोसा नहीं।
- हर इन्सान को अपने धर्म कि रक्षा करनी चाहिए।
- किसी भी धर्म के लोगों का गोंमांस खाना एक पाप है, और यदि आप हिन्दू है तो ये एक कलंक भी है ।
- हमारी आज़ादी के लिए लड़ाई एक चिंगारी है जो भविष्य में विकराल रूप लेगी।