Ratan Tata Biography, Motivational Quotes and Success Story in hindi
रतन टाटा की सक्सेस स्टोरी और जीवनी (Ratan Tata Success Story and Biography (biopic) (Jivani) In Hindi) : आम व्यक्ति अपमान का बदला सामने वाले का अपमान करके करता है, लेकिन सफल लोग उस अपमान को अपनी सफलता की सीढ़ी बना लेते हैं। इस लेख में हम टाटा कंपनी की किस्मत बदल देने वाले टाटा कंपनी के पूर्व चेयरमैन श्री रतन टाटा की जीवनी(Ratan Tata ki Biography (biopic) in hindi) और रतन टाटा की सक्सेस स्टोरी(Ratan Tata Success Story in Hindi) बताने जा रहे है।
प्रारंभिक जीवन(Early Life )
नाम | रतन टाटा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म | 28 दिसंबर 1937 |
माता पिता | पिता–नवल टाटा,माता–सोनू टाटा (टाटा परिवार से संबंधित) |
धर्म | पारसी धर्म |
पुरस्कार | पद्म भूषण 2000,पद्म विभूषण 2008 |
रतन टाटा का जन्म टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के घर 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनके पिताजी का नाम नवल टाटा है। मात्र 24 साल की उम्र में ही रतन टाटा ने अमेरिकी कंपनी आईबीएम की नौकरी ठुकराकर टाटा समूह में एक छोटे से कर्मचारी के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था।
Success Story of Ratan Tata in Hindi
रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project TATA Motors)
अपने सटीक फैसलों के लिए रतन टाटा पूरी दुनिया में जाने जाते थे। जिसके कारण उन्हें 1991 में टाटा ग्रुप का अध्यक्ष बना दिया था। लेकिन उन्होंने साल 1998 में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत टाटा मोटर की पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतारी तो उसका रिस्पांस बिलकुल भी अच्छा नहीं मिला। जिसकी वजह से टाटा मोटर्स कम्पनी तेजी से घाटे में चली गयी। रतन टाटा ने कपनी को घाटे में जाता देख न चाहते हुए भी अपनी कंपनी को अमेरिका की फोर्ड कंपनी को बेचना चाहा।
Ratan Tata Motivational Quotes
जहाँ रतन टाटा और फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड के बीच कई घंटों तक चली बैठक चली। इस बैठक के दौरान फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड ने रतन टाटा को कहा, कि जिस व्यापार के बारे में आपको ज्ञान (Knowledge) नहीं उसमे पैसा क्यों लगा दिया। आपकी इस कंपनी को खरीद कर हम आपके ऊपर एहसान कर रहे हैं।
फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड की कही ये बात रतन टाटा को दिल पर लग गई। जिसके बाद रतन टाटा ने इस अपमान को सहन करते हुए डील को कैंसल कर दिया। साथ ही रतन टाटा ने निश्चय कर लिया कि वो ये कंपनी किसी को नहीं बेचेंगे और किसी भी हालत में इस कंपनी को ऊंचाईयों पर पहुंचा कर ही रहेंगे।
जिसके बाद रतन टाटा ने एक रिसर्च टीम को तैयार किया और पूरे बाजार का मन टटोला की लोगो को क्या पसंद है। फिर उसके अनुरूप अपनी इंडिका कार में कई बदलाव किये, बदलाव करने के बाद एक बार फिर से इंडिका कार को बाजार में उतरा दिया।
टाटा इंडिका ने इस बार भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सफलता की नई कहानी लिख दी। टाटा इंडिका की सफलता की वजह से फोर्ड कंपनी का बाजार तेजी से नीची की तरफ आने लगा। जिसकी वजह से साल 2008 में फोर्ड कंपनी दिवालिया होने की कगार पर आ खड़ी हो गई ।
रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी की दशा को देखे हुए, लक्जरी कार लैंड रोवर और जैगुआर बनाने वाली कंपनी जेएलआर को खरीदने का प्रस्ताव दिया। जिसे फोर्ड कंपनी ने तुरंत स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब फोर्ड कंपनी के अधिकारी मीटिंग करने भारत आए। तब बिल फोर्ड ने रतन टाटा को कहा कि आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत ही बड़ा एहसान कर रहे हैं।
साथ ही रतन टाटा ने मध्यम वर्ग परिवार और गरीब परिवारों को देखते हुए, दुनिया की सबसे कम कीमत वाली कार टाटा नैनो साल 2009 में बाजार में उतारकर गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया। उस समय टाटा नैनो की कीमत सिर्फ 1 लाख थी।
वही रतन टाटा ने साल 2012 में अपने को रिटायर घोषित कर दिया। रतन टाटा ने अपनी अध्यक्षता के अंदर टाटा कंपनी को जमीन से शिखर पर पहुंचा दिया था। रतन टाटा हमेशा कहते है, कि “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ।” रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा टी, टाटा मोटर्स और टाटा नमक को शिखर पर पहुंचाया है।
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टाटा ग्रुप का व्यापार आज लगभग 100 देशों में फैला हुआ है। साथ ही टाटा ग्रुप में लगभग 6. 5 लाख लोग काम करते है। साथ ही उनका करियर काफी उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। वही आज उनके बारे में ये भी कहा जाता है, कि अगर रतन टाटा नहीं होते तो टाटा कंपनी कभी भी इस ऊचाई को नहीं छू पाती।
रतन टाटा अवार्ड(Ratan Tata Awards)
2000 में रतन टाटा को पद्म भूषण से साल 2008 में पद्म विभूषण और साल 2008 ही में नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) से सम्मानित किया जा चूका है। साथ ही रतन टाटा मित्सुबिशी निगम (Mitsubishi Corporation), अमेरिकन इंटरनेशनल समूह (American International Group) और बूज़ एलन हैमिल्टन (Booz Allen Hamilton) के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य है।
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एक सफल बिजनेसमैन के साथ-साथ रतन टाटा एक सच्चे देश भक्त भी है। उन्होंने हमेशा से ही देश में जब भी संकट आया हो, तब-तब रतन टाटा ने अपने हाथ खोले है, साथ ही कोरोना वायरस(coronavirus)(COVID 19) जैसी महामारी से लड़ने के लिए भी रतन टाटा ने 1500 करोड़ रुपये की सहायता की है। टाटा ने हमेशा से ही मुनाफा कमाने से ज्यादा जनता की जरूरतों पर ध्यान दिया है।
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