डॉ. भीमराव आंबेडकर की जीवनी – Dr. B. R. Ambedkar ki Jivani
Dr. Bhimrao Ambedkar: भारत के महान नेता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर देश को संविधान देने के लिए जाने जाते है। अंबेडकरजी का आजादी के बाद भारत को एक नया रूप और नई दिशा देने में सबसे बड़ा योगदान माना जाता है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने संविधान में सभी जाति, धर्म और समाज को बराबर जगह दी है। जिसकी वजह से 1990 में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।
Quick Links :
- डॉ. भीम राव अंबेडकर का बचपन
- डॉ. भीम राव अंबेडकर की शिक्षा
- डॉ. भीम राव अंबेडकर का राजनीतिक जीवन
- डॉ. भीम राव अंबेडकर की मृत्यु
- डॉ. भीम राव अंबेडकर के विचार
- Ambedkar Jayanti Status 2021
- Dr. Bhimrao Ambedkar Quotes
डॉ. भीमराव आंबेडकर की जीवनी (Dr. Bhimrao Ambedkar Biography)
पूरा नाम | डॉ. भीम राव अंबेडकर |
जन्म | 14 अप्रैल 1891 |
पिता का नाम | रामजी मालोजी सकपाल |
माता का नाम | भीमाबाई |
जन्म स्थान | मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 6 दिसम्बर 1956 |
डॉ. भीम राव अंबेडकर का बचपन
![Ambedkar](https://statustown.com/wp-content/uploads/2021/04/br-ambedkar-status.jpg)
बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. बाबा साहेब उनके माता-पिता की 14वीं और आखरी संतान थे. अंबेडकरजी के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. बाबा साहेब के बचपन का नाम रामजी सकपाल था। बाबा साहेब का परिवार मराठी था जो आंबडवे गांव जो आधुनिक समय में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में रखते थे।
अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे, और उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे. भीमराव के पिता हमेशा ही अपने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे. अंबेडकरजी का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे. लेकिन अम्बेडकर जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे।
साल 1894 में अंबेडकरजी के पिता रामजी मालोजी सकपाल की सेवानिवृत्त हो गए लेकिन इसके दो साल बाद ही बाबा साहेब की मां की मृत्यु हो गई. इस कठिन परिस्थिति में रामजी मालोजी सकपाल केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियाँ मंजुला और तुलासा का ही जीवित बच पाए।
बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की शिक्षा
![Ambedkar Quotes](https://statustown.com/wp-content/uploads/2021/04/br-ambedkar-quotes.jpg)
पत्नी की मृत्यु के बाद रामजी ने 1898 मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ बंबई (मुंबई) लोट आये। जहा पर डॉ भीमराव आंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) ने एल्फिंस्टोन रोड पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने। पढा़ई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद भीमराव लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और, भेदभाव से व्यथित रहे।
साल 1907 में बाबा साहेब मैट्रिक परीक्षा पास कर मुंबई विश्वविद्यालय में प्रवेश करने में कामयाब हो गए. इसी के साथ आंबेडकरजी भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले पहले अछूत छात्र बन गये।
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उनके मैट्रिक परीक्षा पास होने पर उनका एक सार्वजनिक समारोह में सम्मान किया गया. इस समारोह में उनके एक शिक्षक कृष्णाजी अर्जुन केलूसकर ने उन्हें अपनी लिखी हुई, पुस्तक गौतम बुद्ध की जीवनी भेंट की, श्री केलूसकर, एक मराठा जाति के विद्वान थे।
बाबा साहेब (Dr. Bhimrao Ambedkar) के स्कूली जीवन से एक और रोचक प्रसंग भी है। एक दिन उनके हेडमास्टर ने नम्र स्वर में पूछा- ‘‘भीम तू पढ़-लिख कर क्या करेगा?’’ भीमराव ने उत्तर दिया- ‘‘सर, मैं कानून की पढ़ाई कर वकील बनूंगा और छुआछूत को दूर करूंगा ।
मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर के कहने पर अंबेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया, जो उनके गांव के नाम “अंबावडे” पर आधारित था। अपनी सभी भाइयों और बहनों में केवल बाबा साहेब ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए थे.
डॉ. भीमराव अंबेडकर का राजनीतिक जीवन
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डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 31 जनवरी 1920 को एक साप्ताहिक अख़बार “मूकनायक” शुरू किया। इस समाचार-पत्र के माध्यम से डॉ.आंबेडकर ने स्वराज किसके लिए? क्या यह स्वराज बहिष्कृतों-अछूतों (दलितों) के लिए भी होगा? क्या इसमें उनकी भी बराबरी के आधार पर सहभागिता होगी? या यह स्वराज सदियों से अछूत कहे जाने वाले लोगों पर अत्याचार कर रहे उच्च जातियों का स्वराज होगा? जैसे कोई तीखा सवाल पुरजोर तरीके से उठाया।
जिसके बाद 20 जुलाई 1924 में बाबा साहेब ने दलितों को समाज में अन्य वर्गों के बराबर स्थान दिलाने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। जिसका उद्देश्य सामाजिक और राजनैतिक दृष्टि से पिछड़े भारतीयों को समाज में बराबरी का हक दिलाना था. बहिष्कृत हितकारिणी सभा के माध्यम से दलितों के कल्याण के लिए पाठशाला, छात्रावास और ग्रंथालय शुरू किए गए थे.
1932 को गांधी जी, बाबा साहेब (Dr. Bhimrao Ambedkar) और अन्य हिंदू नेताओं के बीच एक संधि हुई जो ‘पूना संधि’ के नाम से जानी जाती है। इस समझौते के अनुसार, दलित वर्ग के लिये पृथक निर्वाचक मंडल समाप्त कर दिया गया तथा व्यवस्थापिका सभा में अछूतों के स्थान हिंदू वर्ग के अंतर्गत ही सुरक्षित रखे गये।
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और प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये 147 सीटें आवंटित की गई जबकि सांप्रदायिक पंचाट में उन्हें 71 सीटें प्रदान करने का वचन दिया गया था. साथ ही यह वादा भी किया गया कि गैर-मुस्लिमों निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित सीटों का एक निश्चित प्रतिशत दलित वर्गों के लिये आरक्षित कर दिया जाएगा।
और किसी को भी स्थानीय निकाय के किसी चुनाव या लोक सेवाओं में नियुक्ति के संदर्भ में मात्र दलित वर्ग से संबद्ध होने के आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
अगस्त 1936 में “स्वतंत्र लेबर पार्टी ‘की स्थापना की। 1937 में डॉ. अम्बेडकर ने कोंकण क्षेत्र में पट्टेदारी को ख़त्म करने के लिए विधेयक पास करवाया. भारत के आज़ाद होने पर डॉ. अम्बेडकर को संविधान की रचना का काम सौंपा गया।
फरवरी 1948 को अम्बेडकरजी ने संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया. जिसे 26 जनवरी 1949 को लागू किया गया। जिसके बाद बाबा साहेब ने 1951 में कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया।
डॉ. बी आर अंबेडकर की मृत्यु
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डॉ भीमराव अंबेडकर जी की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी, इसका कारण मधुमेह रोग बताया जाता है, परन्तु इनकी मृत्यु वास्तविक रूप में कैसे हुई इसकी जानकारी सही से नहीं हो पायी है ।
अम्बेडकर जी की मृत्यु के बाद से ही हर साल 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती और 6 दिसंबर पर अम्बेडकर पुण्यतिथि का आयोजन किया जाता है।
डॉ. भीम राव अंबेडकर के विचार (Dr. Bhimrao Ambedkar Quotes)
![ambedkar jayanti images](https://statustown.com/wp-content/uploads/2021/04/ambedkar-jayanti-images.jpg)
मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।
बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।
मानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं।
शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो।
धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए।
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